कोरोना काल डर के आगे जीत है
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कोरोना काल डर के आगे जीत है

कोरोना असाध्य है, असंभव नहीं

कोरोना काल डर के आगे जीत है

अगर एक फेमस कोल्ड ड्रिंक की लाइन्स को ही सच मान लें तो गला भले ही सबका सूखता हो या न सूखता हो, मगर डर तो सभी को लगता है। कभी ये डर थोड़ा काल्पनिक होता है तो कभी सच्चाइयां ही ऐसी होती हैं, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता और वही सच डर का कारण बन जाता है। अब अगर हम कोरोना काल को ही लें तो इससे जुड़े किसी भी डर को काल्पनिक नहीं कहा जा सकता है, चाहे वह इस बीमारी की चपेट में आने का डर हो, फिर से लॉकडाउन लग जाने का डर हो, आर्थिक समस्याओं से जुड़ा डर हो, किसी अपने को खोने का डर हो या फिर करियर चौपट हो जाने का डर हो। ये सभी कोई कोरी कल्पना नहीं है, बल्कि एक कड़वा सच है। अब यहां अहमियत इस बात की है कि हम इस स्थिति को कैसे हैंडल करते हैं। कोरोना ने इंसानी ज़िंदगी को तहस-नहस कर दिया है, ये जितना सच है, उतना ही ये भी सच है कि इंसान ने अपनी हिम्मत और हौसले से इस स्थिति का सामना करने की आदत डालनी भी शुरू कर दी है, किसी ने कम तो किसी ने ज़्यादा। कुछ लोग ऐसे हैं, जो कोविड की चपेट में आकर उबरे हैं तो किसी ने किसी अपने को खोया है। कुछ का आर्थिक आधार प्रभावित हुआ है तो कुछ का संभला हुआ है, लेकिन कब तक संभला रहेगा, ये डर उनके मन में भी बना हुआ है। कहने का मतलब ये कि कोरोना का डर सभी के मन में है। ऐसे में हम यहां देश के जाने-माने मनोवैज्ञानिक डॉ. समीर पारिख से बातचीत के आधार पर कुछ ऐसे टिप्स आपको बता रहे हैं, जिन पर अमल करके आप अपने लिए जुटा सकते हैं, थोड़ी सुरक्षा और थोड़ी सहूलियत। बाकी तो कहा ही गया है कि डर के आगे जीत है।

  • कोरोना असाध्य है, असंभव नहीं

ये ठीक है कि कोरोना एक बड़ी बीमारी है। एक ऐसा रोग है, जिसने दुनिया भर में इंसानी ज़िंदगी को बुरी तरह से झकझोर कर रख दिया है। लाखो-लाख लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं, मगर इसके साथ-साथ ये भी सच है कि कोरोना की चपेट में आने वाले लाखों लोग ठीक भी हुए हैं और अपनी नॉर्मल लाइफ में वापस भी लौटे हैं। सिर्फ़ इतना ही नहीं, बल्कि ठीक होने के बाद उन्होंने अपना प्लाज़्मा डोनेट करके कई लोगों को इस रोग से उबरने और नई ज़िंदगी देने में मदद भी की है। इससे इतना तो साफ़ है कि अगर कोरोना की सही वक्त पर जांच और पहचान हो जाए, सही इलाज और सावधानी बरतना शुरू कर दिया जाए तो इससे ठीक होना भी कोई मुश्किल काम नहीं है। बस ज़रूरत है समय पर सावधानी और सही इलाज की।

  • सावधानी में ही सुरक्षा है

कोरोना के संक्रमण में इलाज से ज़्यादा बचाव इससे जुड़ी सावधानियों में छिपा है, इसलिए भले ही आप या आपका कोई फैमिली मैंबर इसकी चपेट में आया हो या न आया हो, समय का तकाज़ा यही है कि हम घर और बाहर पूरी तरह से सावधान रहें। इससे जुड़े जो भी सुरक्षा उपाय हैं, उनका पालन करें, चाहे वह रेग्युलर मास्क कैरी करना हो, हाथों को बार-बार साफ़ करना हो या फिर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना। इस बीमारी को हव्वा न समझें, लेकिन हल्के में भी न लें। हर बीमारी कोरोना नहीं है, लेकिन ये ख़ुद तय न करें। अगर इस संक्रमण से जुड़ा कोई भी लक्षण आपको अपने में या अपने परिवार में महसूस हो तो जल्दी से जल्दी मेडिकल हेल्प लेने की कोशिश करें और डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी निर्देशों के पूरी तरह से पालन करें। 

  • बच्चों और बुजुर्गों का रखें ख़ास ख़्याल

बच्चों और बुजुर्गों में वैसे भी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, सो बहुत ज़रूरी है कि आप अपने परिवार में बच्चों और बुजुर्गों के इम्यूनिटी सिस्टम का ख़ास ख़्याल रखें। कोशिश करें कि उन्हें न सिर्फ़ कोरोना, बल्कि सभी प्रकार के रोगों से जितना सुरक्षा दे सकें, उतनी दें। अगर फिर भी वे पहले से ही किसी बीमारी या स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं तो उस पर पूरा-पूरा ध्यान दें। सही समय पर दवाओं वगैरह का ख़्याल रखें। अस्पतालों में तो कदम रखने की जगह नहीं , लेकिन जहां तक हो सके, कोशिश करें कि नौबत वहां तक पहुंचे ही नहीं। अपने फैमिली डॉक्टर के निरंतर संपर्क में रहें। जो भी हेल्थ इश्यूज़ पहले से हैं, उनके प्रति लापरवाही न बरतें, क्योंकि उनके चलते प्रभावित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही प्रभावित है। 

  • देसी नुस्खों पर भी विश्वास करें

रोग चाहे कोई और हो या कोरोना ही क्यों न हो, देसी नुस्खों का नियमित तौर पर इस्तेमाल हमेशा से फ़ायदेमंद रहा है और इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। ऐसे में हल्दी वाला दूध, शहद वाला गुनगुना पानी, लौंग, साबुत काली मिर्च वाली चाय या काढ़ा, गिलोय का सेवन, नीम के पानी से स्नान या ताज़ी नीम की कच्ची पत्तियां चबाना जैसे उपाय हमेशा से हितकारी रहे हैं और आज भी इनके प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता। सो आप भी अपनी दिनचर्या में इन देसी तौर-तरीकों को शामिल कर सकते हैं।

  • इम्यूनिटी सिस्टम को बनाएं मज़बूत

मज़बूत रोग प्रतिरोधक क्षमता हर रोग से बचाव का पहला सुरक्षा कवच है, इसलिए चाहे खान-पान में ज़रूरी पौष्टिक तत्वों को शामिल करने की बात हो या व्यायाम द्वारा, इन्हें अपने रुटीन में शामिल करने के लिए ज़्यादा न सोचें। तुरंत अपनाएं। ये बात बार-बात कही जाती हैं, क्योंकि हर बार इन्हीं की बदौलत बहुत से रोगों की सुरक्षा संभव हो पाती है। इस बार कोरोना में भी बहुत से लोग अपने मज़बूत इम्यून सिस्टम की बदौलत ही उबर पाए हैं। 

  • सांस संबंधी व्यायाम करें अधिक

यदि आप रेग्युलर एक्सरसाइज़ करने के आदी हैं तो बहुत ही अच्छी बात है, लेकिन अगर ऐसा नहीं करते हैं तो अब से करने की आदत डाल लीजिए। ये इस बात की गारंटी नहीं होता कि आपको कोई रोग या संक्रमण होगा ही नहीं, लेकिन इस बात का विश्वास ज़रूर होता है कि आपको रोग या संक्रमण से उबरने में सहायता मिलेगी। साथ ही अपने रुटीन में ऐसी एक्सरसाइज़ ज्यादा से ज्यादा शामिल करें, जो श्वास संबंधी हों, जिनकी सहायता से फेफड़ों में ताज़ी सांस ज्यादा से ज़्यादा जाती हो। इससे आपको लाभ मिलेगा।

  • डर से रहिए दूर

हालांकि ये बात कहने में जितनी सरल है, अपनाने में उतनी ही मुश्किल है। डर एक ऐसी समस्या है, जिससे बचना अपने हाथ में नहीं होता, लेकिन हां, इतना तो अपने हाथ में होता ही है कि हम किसी भी प्रकार के डर को अपने पर हावी न होने दें। हम किसी भी रोग या संक्रमण अथवा समस्या से बचे रहने के लिए ज़रूरी हर सावधानी बरतने के बावजूद ये गारंटी नहीं दे सकते कि वह समस्या होगी ही नहीं। हां, मगर यदि आप किसी भी विकट परिस्थिति का सामना करने के लिए मन से तैयार हैं तो कोई भी संकट आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता, इसलिए अपने पर विश्वास रखिए। साथ ही ये बात भी याद रखिए कि ज़िंदगी एक ऐसी नियामत है, जिसकी जितनी रक्षा आप करते हैं, उतना ही विश्वास परम सत्ता पर भी रखना होता है, क्योंकि ज़िंदगी और मौत दोनों ही हमारे हाथ नहीं है। सिर्फ़ जीवन की सुरक्षा पर ही अपना अख्तियार है तो आप वहीं कीजिए।

  • ध्यान करने की आदत आज ही अपनाएं

आपको अजीब लग रहा होगा न कि भला आंख बंद करके बैठ जाने में किसी भी समस्या का क्या समाधान छिपा हो सकता है। यकीन कीजिए, तन की खुली आंखें जो काम नहीं कर सकती हैं, मन के खुले विवेक वह चमत्कार तक कर सकते हैं। ध्यान से आप अतिरिक्त तनाव, अवसाद या डर से तो बचेंगे ही, मानसिक रूप से शांत भी रहेंगे और शांत मनो-मस्तिष्क हमेशा सही फैसले लेने में मददगार साबित होता है। इससे आप ठंडे दिमाग से इस बात को समझ सकेंगे कि जो स्थिति आपके हाथ नहीं है, उसका अतिरिक्त तनाव लेने की बजाय उस समस्या का संभावित हल क्या हो सकता है, वह सोचा जाए। ध्यान एक ऐसा चमत्कार है, जिसका प्रभाव नियमित रूप से करने वाले को ही पता होता है। चाहें तो आप भी पता करके देख लीजिए।

  • भरपूर नींद लें

आमतौर पर आप जितनी नींद अपने लिए पर्याप्त महसूस करते हैं, उतनी नींद तो नियमित रूप से लीजिए ही, साथ ही बीच-बीच में जब भी मौका मिले, हल्की झपकी लेते रहिए। अच्छी नींद में अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी छिपी होती है। इसके अलावा यह मानसिक शांति व सेहत के लिए भी बहुत प्रभावी है। 

  • परिवार के पास रहिए

आड़े वक्त में सबसे पहले परिवार की ही याद आती है और कोई भी समस्या होने पर भी सबसे पहली चिंता परिवार की ही होती है। कोरोना काल ने भी हमें परिवार का महत्व बहुत अच्छे से सिखाया है, इसलिए जितना हो सके, अपने परिवार से नज़दीकी बनाए रखिए। अपने ख़ास दोस्तों और रिश्तेदारों के भी संपर्क में रहिए। नज़दीकी सिर्फ़ मिल कर ही नहीं जताई जा सकती है, बल्कि आजकल तो फोन और सोशल मीडिया के ज़रिये भी हम उन्हें अपनी नज़दीकी महसूस करा सकते हैं, जिनके साथ हम सचमुच ऐसा करना चाहते हैं। इंसान एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए इंसानों का महत्व पहचानिए। 

  • वर्क फ्रॉम होम से जुड़ी सावधानियां

कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम एक आम बात हो गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने रुटीन से ही मुंह मोड़ लें। ये ठीक है कि घर से काम करते हुए बहुत फॉर्मल होने की बजाय आरामदायक तरीके से काम किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए रेग्युलर रुटीन ब्रेक करने की ज़रूरत नहीं है। अपने सोने-जागने, खाने-पीने के तय समय को ही फॉलो कीजिए। आरामदायक स्थिति के नाम पर लापरवाह मत हो जाइए। साथ ही काम को भी उतना ही समय दीजिए, जितना नियमित रूप से ज़रूरी होता है, न कि घर से काम कर रहे हैं, ये सोचकर बाकी कामों को विराम देकर सिर्फ़ प्रोफेशनल काम में ही लगे रहें। बचे हुए समय का उपयोग अपने पुराने शौक के लिए कीजिए या नए शौक बनाइए।

  • गैज़ेट्स के हाइजिन का भी रखें ख़्याल

पर्सनल हाइजिन का ख़्याल तो इस समय सभी रख ही रहे हैं, लेकिन इनके साथ-साथ अपने उन गैजेट्स की हाइजिन का भी ख्याल रखें, जिनका उपयोग इस दौरान आप कर रहे हैं। जैसेकि बच्चों की ऑनलाइन क्लास क्योंकि फोन पर ही ज्यादा हो रही है, वर्क फ्रॉम होम आप लैपटॉप ही कर रहे हैं तो अपने फोन और लैपटॉप को साफ-सुथरा रखने के साथ-साथ अपने हाथों की साफ-सफाई पर भी पूरा ध्यान दें। आंखों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।

  • आर्थिक पक्ष का आधार दें, तनाव नहीं

ये सच है कि कोरोना काल में हज़ारों-लाखों लोगों की रोज़ी-रोज़गार प्रभावित हुए हैं, इसलिए इससे जुड़ी चिंता को निराधार नहीं कहा जा सकता है। यहां बस यही किया जा सकता है कि आप अपना आर्थिक आधार जितना मज़बूत करके चल सकें, उतना अच्छा। हां, मगर बचत के नाम पर न तो कंजूसी बरतिए और न ही किसी अनजाने डर या अफ़वाह पर ध्यान देकर बिना वजह ज़रूरी चीज़ों का ढेर लगाकर अपने घर को ही स्टोर रूम बना लें। सावधानी अच्छी बात है, लेकिन बदहवासी नहीं। साथ ही याद रखिए कि जो चीज़े आपात कालीन सेवाओं के अंतर्गत आती हैं, उनसे जुड़ी अफ़वाहों से डरना कालाबाज़ारी को बढ़ावा देना होता है। इस मामले में सतर्क रहें।

  • सामाजिक ज़िम्मेदारी भी निभाएं

ये समाज सभी की भागीदारी से चलता है। कभी न कभी, सभी को एक-दूसरे का हाथ थामकर ही आगे बढ़ना होता है। इस कठिन समय में भी हम सभी की कुछ सामाजिक ज़िम्मेदारियां साझा हैं। उन्हें समझें और जितना भी हो सके, एक-दूसरे का सहयोग करें। सुरक्षा नियमों को ध्यान में रखते हुए भी सामाजिक सुध-बुध बनाए रखें। ये सच है कि आज सभी तकलीफ़ में हैं, लेकिन ये भी सच है कि इस संकट की घड़ी से भी हम सब साथ ही निकलेंगे, इसलिए जिसके लिए आप जो भी कर सकते हैं, ज़रूर करें।