दामिनी यादव की कविता- मुस्कुराहटों के मौसम
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दामिनी यादव की कविता- मुस्कुराहटों के मौसम

'वर्ल्ड स्माइल डे' के मौकेपर प्रस्तुत है, दामिनी यादवकी कविता 'मुस्कुराहटों के मौसम'

दामिनी यादव की कविता- मुस्कुराहटों के मौसम

मौसम नहीं है मुस्कुराहटों का

फिर भी मुस्कुराओ

कि मुस्कुराने से

उदास मौसम भी मुस्कुराते हैं

 

हालात बन जाते हैं ज़मीं,

अश्कों की झड़ी बारिश

फिर इन्हीं में से गुज़रकर

नई बहारों के पैग़ाम आते हैं,

मौसम नहीं है मुस्कुराहटों का

फिर भी मुस्कुराओ

कि मुस्कुराने से

उदास मौसम भी मुस्कुराते हैं,

Read | बिकाऊ तिरंगे

ये जो आज बीतता ही नहीं,

कल ये भी बीते कल बन जाएंगे

जिन यादों को याद नहीं करना चाहते

उन यादों के साये धुंधला जाएंगे

मुस्कुराओ कि मुस्कुराने से

उदासी के सफ़र जल्दी कट जाएंगे

मौसम नहीं है मुस्कुराहटों का

फिर भी मुस्कुराओ