स्तन कैंसर- सावधानी ही बचाव है!
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स्तन कैंसर- सावधानी ही बचाव है!

प्रत्येक वर्ष अक्टूबर का महीना ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है।

स्तन कैंसर- सावधानी ही बचाव है!

एक स्त्री के जीवन में स्तन का क्या महत्व है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर इंसान की पहली पहचान उसके इस ऊपरी भाग, यानी स्तनों को देखकर ही होती है कि वह महिला है या पुरुष। हर जीव का पहला आहार, यानी दूध इन्हीं स्तनों से होकर मिलता है, पर जब इन्हीं स्तनों में कैंसर जैसा रोग उत्पन्न हो जाता है तो वह किसी भी स्त्री के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ उसके मानसिक और भावनात्मक पहलुओं पर भी गहरा असर छोड़ता है। इसी की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक वर्ष अक्टूबर का महीना ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। तो आइए हम भी जानें इस रोग और इससे जुड़ी सावधानियों के बारे में। 

किसे हो सकता है स्तन कैंसर

यह बहुत दुखद स्थिति है कि न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में बड़े पैमाने पर महिलाएं इस रोग से पीड़ित हैं, फिर भी इसके प्रति जागरुकता में भारी कमी देखने को मिलती है। यदि 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' की रिपोर्ट को आधार बनाएं तो हर साल लगभग इक्कीस लाख महिलाएं स्तन कैंसर की चपेट में आ जाती हैं। केवल भारत में ही लगभग हर आठ में से एक महिला स्तन कैंसर से प्रभावित पाई जाती है। वैसे तो स्तन कैंसर का ख़तरा कभी भी पैदा हो सकता है, लेकिन ख़ासतौर पर चालीस साल की उम्र के बाद से तो महिलाओं में स्तन कैंसर की संभावना कई गुना बढ़ जाती है और यदि परिवार में किसी को स्तन कैंसर की समस्या पहले रह चुकी हो तो यह समयावधि और घट जाती है। 

स्तन कैंसर के लक्षण

स्तन कैंसर बहुत धीमी गति से पनपने वाला रोग है, फिर भी कुछ लक्षणों के आधार पर इस रोग की पहचान समय रहते की जा सकती है, जैसेकि दोनों में से किसी स्तन में अथवा अंडरआर्म्स में गांठ का होना, किसी स्तन की शेप, साइज़ या कप साइज़ में अचानक असामान्य रूप से बदलाव दिखाई देना, स्तन या निप्पल पर लालिमा नज़र आना, स्तन से खून या पस का आना, स्तन की स्किन का बहुत अधिक समय तक काफ़ी सख़्त बने रहना, स्तन का सामान्य स्वरूप से अलग दिखाई देना या फिर स्तन पर कुछ भी ऐसा दिखाई देना या महसूस होना, जो आपकी सामान्य स्थिति से अलग हो, जैसेकि सिकुड़न, लकीरें, धब्बे, गड्ढे वग़ैरह। यूं तो ये सभी लक्षण स्तन कैंसर के ही माने जाते हैं, लेकिन कभी-कभी ये किसी दूसरे रोग या समस्या के भी हो सकते हैं, इसलिए अपने-आप किसी नतीजे पर पहुंचने की बजाय इस सिलसिले में एक बार अपनी डॉक्टर से चैकअप ज़रूर करा लें।

स्तन कैंसर का सेल्फ टैस्ट
 

आज की जीवनशैली का सबसे बड़ा दुष्परिणाम यही है कि किसी को भी किसी रोग से पूरी तरह से सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। कोई भी, कभी भी, किसी रोग की चपेट में आ सकता है, इसलिए यदि शरीर में किसी भी तरह का कोई लक्षण या समस्या दिखाई दे तो डॉक्टर से मिलने में या उस रोग के इलाज में देर करके लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। जितना जल्दी से जल्दी आप डॉक्टर से संपर्क करेंगी, आपके लिए उतना ही अच्छा होगा। यही बात स्तन कैंसर पर भी लागू होती है। महिलाओं को चालीस साल की उम्र के बाद अपने शरीर में आ रहे बदलावों पर ज़रूर ध्यान देना चाहिए। ख़ासतौर पर स्तन कैंसर से बचाव के लिए सेल्फ टैस्ट का तरीका सीखकर अपने स्तनों की जांच समय-समय पर करते रहना चाहिए। यदि आपके परिवार में बदकिस्मती से कभी किसी को स्तन कैंसर रहा हो तो आपको और ज़्यादा सचेत रहने की ज़रूरत है। इसके लिए आप बीस साल की उम्र के बाद से ही हर तीसरे साल में स्क्रीनिंग मैमोग्राम करा सकती है। इसकी अवधि आपको चालीस साल की उम्र के बाद वार्षिक रूप से कर देनी चाहिए। मैमोराम के अलावा अल्ट्रासाउंड भी कराया जा सकता है और अगर रिस्क फैक्टर ज़्यादा लग रहा हो तो स्तन कैंसर की जांच के लिए एमआरआई का सहारा भी लिया जा सकता है।  

क्या पुरुषों को भी होता है स्तन कैंसर

वैसे तो स्तन कैंसर मुख्य रूप से महिलाओं में होने वाला रोग है, लेकिन कई अपवाद स्वरूप मामलों में यह पुरुषों में भी पाया जाता है। इस मामले में जागरुकता की भारी कमी है। इसका एक कारण तो यह है कि आमतौर पर धारणा यह है कि स्तन कैंसर महिलाओं को ही होने वाला रोग है। इसके चलते पुरुषों में जब यह समस्या होती है तो उन्हें इसका पता काफ़ी देर से चलता है और फिर इसके इलाज में भी काफ़ी देर हो चुकी होती है। पुरुषों में स्तन कैंसर होने के मुख्य कारणों में कई बातें शामिल हैं, जैसेकि- इस मामले में जेनेटिक हिस्ट्री रहना, बहुत ही ज़्यादा ख़राब लाइफ स्टाइल रहना। इसके अलावा अगर सीने के आस-पास रेडिएशन थैरेपी ली गई हो, उस स्थिति में भी पुरुषों में स्तन कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है। पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के मामले आमतौर पर साठ साल की उम्र के आस-पास ही पाए जाते हैं। 

स्तन कैंसर से बचाव के उपाय

किसी भी रोग के इलाज से हमेशा अच्छा होता है, उस रोग से बचाव। अगर स्तन कैंसर का भी समय रहते पता चल जाए तो रिस्क फैक्टर घट जाता है और रोगी को लाभ मिलने की संभावना बढ़ जाती है, वरना इस रोग में कीमोथैरेपी, रेडिएशन और सर्जरी तक करनी पड़ जाती है। स्तन कैंसर के हाई  रिस्क की स्थिति में कैंसर को फैलने से रोकने के लिए सर्जरी द्वारा उस स्तन को काटकर हटाना पड़ता है, इसलिए इस बात की गंभीरता को समझा जा सकता है कि थोड़ी सी सावधानी से एक बड़े संकट को टाला जा सकता है। सो सबसे पहले तो ज़रूरी है अपनी जीवनशैली, यानी लाइफ स्टाइल पर ध्यान देना। पौष्टिक आहार नियमित रूप से और समय पर लेना, व्यायाम को अपनी दिनचर्या का अटूट हिस्सा बनाना, सिगरेट तथा शराब जैसे पदार्थों का इस्तेमाल न करना, बहुत अधिक देर से समय से बहुत पहले यदि मासिक चक्र शुरू या ख़त्म हो, उस स्थिति में बरती गई सावधानी आपको काफ़ी हद तक इस रोग से दूर रख सकती है। इसके अलावा अगर आप मां हैं तो अपने बच्चे को अधिक से अधिक दूध ज़रूर पिलाएं, क्योंकि स्तनपान कराने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर की संभावना काफ़ी कम होती है। 
स्तन कैंसर के मामले में तो यही कहा जा सकता है कि सावधानी ही बचाव है। 

Nikita Sharma
Nikita Sharma
919 Days Ago
Informative
Alvira Nasir
Alvira Nasir
919 Days Ago
Great article
Himanshu Bisht
Himanshu Bisht
918 Days Ago
Very informative