यह बात तो अधिकांश लोग जानते ही हैं कि हर साल 19 नवंबर को 'वर्ल्ड टॉयलेट डे', यानी कि 'विश्व शौचालय दिवस' के रूप में मनाया जाता है। अब कुछ लोग इस बात को हल्के में या उपहास के रूप में ले सकते हैं, लेकिन इस बात का महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि आज भी न केवल भारत, बल्कि विश्व की एक बड़ी जनसंख्या शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित है। शौचालय स्वच्छता के साथ-साथ मानवीय गरिमा के लिए भी बेहद ज़रूरी है। यही वजह है कि 2001 को विश्व शौचालय संगठन द्वारा इस दिन को मनाने की घोषणा की गई थी और फिर उसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा साल 2013 में इसे आधिकारिक रूप से मान्यता दे दी गई थी।
ये तो हुई वर्ल्ड टॉयलेट डे की शुरुआत से जुड़ी एक सामान्य जानकारी। अब जिन लोगों को टॉयलेट जैसी मूल-भूत सुविधा मयस्सर ही नहीं है, उनकी तकलीफ़ को तो समझा जा सकता है और दुनिया भर में इस दिशा में काफ़ी प्रयास भी हो रहे हैं, लेकिन जिन लोगों के पास ये सुविधा है, क्या वे लोग उन सामान्य नियमों का पालन करते हैं, जो किसी भी टॉयलेट की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए ज़रूरी होते हैं। अक्सर ऐसा देखने में तो नहीं आता, क्योंकि कहीं न कहीं जाने-अनजाने इन नियमों की अनदेखी हो ही जाती है। चलिए, जानते हैं कि क्या हैं वे छोटी-छोटी बातें, जो बन जाती हैं बड़ी लापरवाही।
सबसे पहली बात तो वही है, जिसे हम अक्सर ज़्यादातर टॉयलेट के अंदर लिखा हुए देखते हैं कि कृपया टॉयलेट इस्तेमाल करने के बाद अच्छी तरह से फ्लैश करना न भूलें। अब ये बात लिखी मिलती है तो इसका मतलब ही यही है कि अधिकांश लोग यह बेसिक सी बात भी भूल जाते हैं। लिहाज़ा अगली बार जब आप टॉयलेट का इस्तेमाल करें तो इस बात का पूरा ख़्याल रखें कि कहीं अनजाने में आपसे भी यह ग़लती न हो जाए।
- इस्तेमाल के बाद टॉयलेट सीट को पूरी तरह से पोंछकर सुखाना न भूलें, क्योंकि जिस तरह आपको किसी दूसरे की इस्तेमाल की हुई गीली सीट मिलने पर गुस्सा आता है, उसी तरह किसी दूसरे के साथ भी ऐसा होना स्वाभाविक है।
- इस्तेमाल किए हुए टिश्यू पेपर या सैनेटरी पैड को कभी भी टॉयलेट सीट के अंदर नहीं डालना चाहिए, बल्कि हमेशा डस्टबिन में ही फेंकना चाहिए। आपकी ये एक छोटी सी लापरवाही टॉयलेट को ब्लॉक कर सकती है।
- टॉयलेट में हाथ-मुंह धोते वक़्त उतना ही पानी इस्तेमाल करें, जितने की सचमुच ज़रूरत हो। आपने भी अक्सर देखा ही होगा कि बहुत से लोग हाथ-मुंह धोते हुए या फिर ब्रश करते हुए बेवजह नल खुला रखते हैं, जिससे बहुत सा पानी यूं ही बेकार चला जाता है। पानी इस समय दुनिया की बड़ी ज़रूरतों में से एक है, इसलिए इसका संरक्षण अपने पर्यावरण के प्रति एक ज़िम्मेदारी भरी पहल होगा।
- कोशिश कीजिए कि अपने घर के टॉयलेट में टिश्यू और इस्तेमाल किए गए पानी के रिसाइकिल की व्यवस्था कर सकें। इससे ये चीज़ें इस्तेमाल के बाद भी दोबारा उपयोग में कई तरीकों से लाई जा सकती हैं और यह अपने संसाधनों के समझदारी भरे उपयोग के लिए हमारे साथ-साथ दूसरों को भी प्रेरित करेगा।
- कहा जाता है कि अगर किसी के असल स्वभाव का पता लगाना हो तो उसके घर का ड्राइंगरूम नहीं, बल्कि टॉयलेट देखना चाहिए। उस जगह की स्वच्छता यह साबित करने के लिए काफ़ी है कि वह व्यक्ति वास्तव में कैसा है। सो आप भी अपने घर के टॉयलेट की साफ़-सफ़ाई के साथ-साथ सजावट पर भी पूरा-पूरा ध्यान देना न भूलिएगा। याद रखिए, हम टॉयलेट इस्तेमाल करते हुए अक्सर कहते हैं न कि हम फ्रेश होने जा रहे हैं तो कम से कम उस जगह को सबसे पहले ऐसा बनाइए तो सही कि सही मायनों में फ्रेशनेस का एहसास हो सके।
- कुछ लोगों की आदत होती है कि अगर उन्हें टॉयलेट बिज़ी मिल जाए, यानी पहले से कोई अंदर हो तो भी वे बाहर से दरवाज़ा खटखटाना शुरू कर देते हैं। हम आपको बताना चाहेंगे कि टॉयलेट मैनर्स के हिसाब से यह बहुत ही बुरी बात समझी जाती है।
- यदि पब्लिक टॉयलेट इस्तेमाल करना पड़े तो अपने हिस्से की स्वच्छता तो बरतिए ही, साथ ही इस बात का ख़्याल भी रखें कि आपने भी साफ़-सुथरी और सूखी सीट ही इस्तेमाल की हो। कोरोना काल के बाद से तो किसी भी पब्लिक टॉयलेट की सीट इस्तेमाल करने से पहले उस पर सैनेटाइज़र स्प्रे करना बहुत ही ज़्यादा ज़रूरी हो गया है।