World Trade Fair 2021- क्या रहीं इस बार की ख़ासियतें!
Welcome To CitySpidey

Location

World Trade Fair 2021- क्या रहीं इस बार की ख़ासियतें!

विश्व व्यापार मेला-2021 इस बार अपने में कई आकर्षण लिए हुए रहा। एक नज़र उन ख़ासियतों पर।

World Trade Fair 2021- क्या रहीं इस बार की ख़ासियतें!

नई दिल्ली के प्रगति मैदान में हर साल लगने वाला विश्व व्यापार मेला, यानी वर्ल्ड ट्रेड फेयर यूं तो अपने-आप में हमेशा इतना ख़ास और मनोरंजक होता है, जिसके चलते न सिर्फ़ दिल्ली के लोगों को, बल्कि दिल्ली से बाहर के लोगों को भी इस मेले का इंतज़ार रहता है। फिर इस बार तो यह विश्व व्यापार मेला आयोजित भी एक अंतराल के बाद हुआ है, क्योंकि कोरोना काल के चलते पूरी दुनिया की रफ़्तार पर ब्रेक लगे हुए थे। अब ज़िंदगी दोबारा धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार पकड़ रही है तो ट्रेड फेयर का भी आयोजन इस साल किया गया। यहां वाले सैकड़ों दर्शकों में से एक हम भी थे और लगातार जुटाते रहे आपके लिए यहां से जुड़ी कई ख़ासियतों की ख़बर। सो हमने सोचा कि आज चलते-चलते इस मेले की बेहद ख़ास बातें एक बार फिर से आपको याद दिलाई जाएं, ताकि फिर आप भी कर सकें अगले मेले को इंतज़ार। अगर आप भी ट्रेड फेयर होकर आए हैं तो आपकी ख़ुशनुमा यादें ताज़ा हो जाएंगी और अगर किसी वजह से आप वहां नहीं जा पाए हैं तो न जाने की कसक कुछ कम हो जाएगी। तो चलिए, जानते हैं एक छोटी सी झलक में कुछ ख़ास बातों के बारे में।

हुनर हाट रहा बड़ा आकर्षण

40वां विश्व व्यापार मेला इस बार भी दिल्ली के प्रगति मैदान में हमेशा की तरह आयोजित किया गया, जिसके अंतर्गत लगा हुनर हाट भी लोगों को भारी खंख्या में अपनी ओर खींचने में कामयाब रहा। इस व्यापार मेले में हुनर हाट का आयोजन अल्पसंख्यक मंत्रालय के द्वारा किया गया था, जिसमें देश भर से लगभग 282 स्टॉल्स की भागीदारी रही। इसका उदेश्य देश भर के कलाकारों, शिल्पकारों और कारीगरों को एक कलात्मक मंच देना था। साथ ही इसका लाभ उन्हें सीधे तौर पर आर्थिक रूप से भी मिला, क्योंकि बड़ी संख्या में हुनर हाट देखने आने वाले दर्शकों ने यहां ख़रीदारी भी जमकर की है।

Read | Trade Fair 2021: Head to Pragati Maidan for a shopping extravaganza

प्रगति मैदान का नया स्वरूप कर रहा था उत्सुक

प्रगति मैदान के नवीनीकरण का काम पिछले काफ़ी समय से चल रहा है, जो कि अभी भी बड़े पैमाने पर जारी है और पूरी तरह से संपूर्ण नहीं हुआ है। फिर भी लोगों में इसके नए स्वरूप को लेकर बनी हुई उत्सुकता भी यहां आने वाले दर्शकों को खींच रही थी। इसके चलते जो भी लोग यहां आ रहे थे, जहां एक तरफ़ व्यापार मेले का आकर्षण, धूमना-फिरना, ख़रीदारी, खान-पान और मौज-मस्ती उन्हें लुभा रही थी तो दूसरी तरफ़ प्रगाति मैदान का नया स्वरूप कैसा होने जा रहा है, यह भी उनकी उत्सुकता का केंद्र बिंदू रहा।

दिल्ली की दहलीज़ पर मस्ती के साथ सेहत भी

दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए मोहल्ला क्लीनिक कोई नई बात नहीं है और वे यहां मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ बड़े पैमाने पर उठाते रहे हैं, लेकिन विश्व व्यापार मेले में जब हम दिल्ली के स्टॉल पर पहुंचे तो पाया कि इस मोहल्ला क्लीनिक का लाभ हर दर्शक को मिल रहा है। यहां पर मोहल्ला क्लीनिक का भी एक स्टॉल लगा हुआ था, जहां पर लोग उसी समय डॉक्टर को कंसल्ट भी कर रहे थे और दवा भी ले रहे थे, टेस्ट भी करा रहे थे और यह सब भी बिल्कुल निशुल्क हो रहा था। साथ ही अगर ट्रेड फेयर घूमने के दौरान किसी को भी किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या हो रही थी तो वह भी यहां पहुंच रहा था। हालांकि स्वास्थ्य सुविधाएं तो विश्व व्यापार मेले की ओर से भी उपलब्ध कराई जाती रही हैं, लेकिन इस पहल का लोगों में जमकर स्वागत हुआ और लोगों ने इसका लाभ भी खुलकर लिया।

आत्मनिर्भर भारत में प्रयास आर्थिक सुअवसर के

इस बार व्यापार मेले की थीम में आत्मनिर्भर भारत छाया हुआ था। सभी राज्यों में इस थीम पर आधारित कई आकर्षण देखने को मिल रहे थे। लगभग 30 राज्यों के सैकड़ों उत्पाद यहां प्रदर्शन और बिक्री के लिए रखे गए थे। यहां पर अनेक राज्यों के जाने-माने चर्चित सामान के साथ-साथ वहां की कई अनजानी विशेषताओं के बारे में भी पता चल रहा था, जिसका लोग काफ़ी स्वागत भी कर रहे थे। इस व्यापार मेले में भागादारी करने वालों के लिए आर्थिक रूप से यह पक्ष बेहद अच्छा साबित हुआ कि मेला सिर्फ़ दर्शकों तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि ख़रीदारों की भी अच्छी-ख़ासी भीड़ थी। इसका अंदाज़ा प्रतिभागियों के चेहरे की मुस्कान और उनसे बातचीत करने पर आसानी से लगाया जा सकता था।

हर राज्य अपने में ख़ास

चाहे स्पेशल मसालेदार गूगल या अगरबत्तियां हों, प्योर वुडन लैंप हों, फुलकारी की चादरें या दुपट्टे हों, आयुर्वेदिक तेल या जड़ी-बूटियां हों, चमड़े के उत्पाद हों, डिज़ायनर दरियां हों, पीतल अथवा तांबे के बर्तन व सामान हों, पहाड़ी टोपी तथा जैकेट हों, सजावटी सामान हों जूलरी या फिर अलग-अलग राज्यों के तरह-तरह के खाद्य पदार्थ, पैंतीस प्रकार के हरियाणवी लड्डू हों, ये अपने-आप में ऐसे आकर्षण थे कि दर्शकों के कदम इनकी ओर खींचे चले आते थे और वे इनकी विशेषताओं के चलते इन्हें ख़रीदने से अपने को रोक भी नहीं पाते थे। अच्छी बात ये थी कि इन उत्पादों के स्तर को देखते हुए इनकी कीमत एकदम वाजिब थी।

कुछ चीज़ें तो थीं अपने में नायाब

शायद आपने कभी इक्यावन हज़ार रुपये प्रति किलोग्राम गुड़ खाया तो क्या चखा भी नहीं होगा, लेकिन इस बार के व्यापार मेले में यह भी मौजूद था, जो कि उत्तर प्रदेश के स्टॉल पर मौजूद था। इस गुड़ की ख़ासियत यह थी कि इसमें सोने के छोटे-छोटे ऐसे टुकड़े मौजूद थे, जो खाए जा सकते थे। साथ ही इसमें अनेक प्रकार की दुर्लभ जड़ी-बूटियां अपने मूल स्वरूप में मौजूद थीं। यही सब ख़ूबियां मिलकर बना रही थीं इस गुड़ के ज़ायके को ख़ास। इस सुनहरे गुड़ के अलावा वहां लगभग इक्वायन ही प्रकार के और भी गुड़ मौजूद थे, जैसेकि- जिंजर गुड़, चॉकलेट गुड़ वग़ैरह-वग़ैरह। अब हम आपको बताते हैं यहां के एक और आकर्षण के बारे में। यहां जम्मू-कश्मीर के स्टॉल पर आपको मिल सकती है, एक लाख बीस हज़ार की शॉल। जी हां, चौंकिए मत, आपने सही कीमत पढ़ी है। लगभग सवा लाख की इस शॉल की ख़ासियतों में से सबसे अहम यह है कि यह एक ही शॉल कई कारीगरों द्वारा मिलकर लगभग तीन साल में तैयार होती है। यह विशुद्ध पश्मीना से बनी हुई है। इसमें कोरियन आर्ट की हस्तशिल्प दस्तकारी का काम है। साथ ही इसमें इस्तेमाल किए गए रेशम और ज़री भी अपने मूल स्वरूप और शुद्धता के चलते इसे लाखों में एक बना रहे थे। इसी प्रकार ब्रज कांति मधू के स्टॉल पर मौजूद अगरबत्तियां, गूगल, लोबान और धूप की ख़ासियत यह थी कि इनका निर्माण उन्हीं विशेष मसालों से किया गया था, जो कि भारत के कई प्रसिद्ध मंदिरों में पूजा-पाठ में इस्तेमाल किए जाते हैं और वातावरण व स्वास्थ्य की दृष्टि से लाजवाब हैं।

क़ैद से आई ज़िंदगी की महक

विश्व व्यापार मेले में एक स्टॉल तिहाड़ जेल के क़ैदियों द्वारा बनाए गए उत्पादों का भी प्रदर्शित किया गया था। इसमें कई तरह के अचार, पापड़, हर्बल सोप, शैंपू, पेपर क्राफ्ट और अन्य खाद्य पदार्थों जैसी चीज़ों का भी था। यह सामान गुणवत्ता की दृष्टि से बेहतरीन होने के साथ-साथ सफ़ाई व स्वच्छता के मानकों पर भी खरा उतर रहा था, क्योंकि इनके निर्माण में इनसे जुड़ी सावधानियों का भी पालन किया गया था। इससे जीवन के प्रति इनकी सोच में आती सकारात्मकता का भी पता चलता है और इनकी ख़रीद से उन्हें भी प्रोत्साहन मिलता है, जो कभी किसी कारण से रास्ता भटक चुके थे।

परिवेश के प्रति जागरुकता

यहां मौजूद स्टॉल्स में अपने-अपने राज्यों के पर्यटन से जुड़े बिंदुओं के बारे में भी काफ़ी जानकारी मौजूद थी, जो कि दर्शकों को उस राज्य में घूमने जाने को प्रेरित कर सकती थी, जैसेकि- चंडीगढ़ के स्टॉल पर वहां मौजूद म्यूज़ियम्स के बारे में जानकारी देने के लिए ख़ासतौर पर व्यवस्था की गई थी। भारतीय लोगों में म्यूज़ियम्स के प्रति आकर्षण ज़रा कम ही मिलता है, लेकिन यहां की रोचकता लोगों को अच्छा-ख़ासा लुभा रही थी। केरल राज्य के स्टॉल पर अन्य विशेषताओं के साथ-साथ वहां उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में भी विस्तार से बताया जा रहा था, ताकि अगली बार जब भी आप केरल घूमने का कार्यक्रम बनाएं तो सिर्फ़ सैर-सपाटे तक ही सीमित न रहें, बल्कि अपनी किसी स्वास्थ्य समस्या का भी इलाज ढूंढ़कर आएं।

सूचना और तकनीक की साझेदारी

सूचना-तकनीक तथा रेलवे व फॉरेस्ट डिपार्टमेंट जैसे प्रदर्शक यहां भाग लेने वाले लगभग पंद्रह सौ प्रतिभागियों में से एक थे। इससे लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ सूचना व तकनीक संबंधी जानकारियों का भी लाभ मिल रहा था। वंदे भारत एक्सप्रेस मॉडल भी यहां प्रदर्शित की गई थी, जो कि पहली स्वदेशी सेमी हाई स्पीड ट्रेन है। इसके अलावा कुछ ट्रेनों का वर्चुअल रूप भी लोगों को लुभा रहा था। यह भी अपने-आप में एक अच्छी बात है कि मनोरंजन का उद्देश्य भी यदि जागरुकता और जानकारी के साथ पूरा हो तो कहने ही क्या!

सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समां

विश्व व्यापार मेले में हॉल नंबर तीन के सामने ही मौजूद था ओपन थियेटर, जहां पर हर रोज़ होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने दर्शकों के पांव बांधे रखे और लोग वहां से हटकर कहीं और जा ही नहीं पा रहे थे। यहां अलग-अलग राज्यों के विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों, नृत्य, गीत-संगीत के अलावा चर्चित बॉलीवुड सिंगर्स की प्रस्तुति भी अपने में एक बड़ा आकर्षण थी। इसके अंतर्गत रैंबो इंटरनेशनल सर्कस के लगभग दो दर्जन कलाकारों द्वारा दी जा रही हैरतअंगेज़ परफॉर्मेंस ने भी लोगों का जम कर मनोरंजन किया।   

सुरक्षा मानकों का पालन

विश्व व्यापार मेले में भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए दर्शकों की संख्या बार-बार सीमित रखी जा रही थी। साथ ही सभी दर्शकों की एंट्री थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही की जा रही थी। जगह-जगह पर सेनेटाइज़र की व्यवस्था भी थी और पूरे समय मास्क पहने रखना अनिवार्य था। हां, सीमित रखे जाने के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में उमड़ते दर्शकों को नियंत्रण में रखना ज़रूर एक बड़ी चुनौती था, जिसके चलते सोशल डिस्टेंसिंग ज़रूर थोड़ा और अधिक ध्यान देने वाला बिंदू रहा।

बहरहाल, कुल मिलाकर अगर कोरोना काल के बाद आप ज़िंदगी को एक बार फिर से अपनी रफ़्तार पर लौटते देखना और अनुभव करना चाहते रहे हैं तो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला इसका एक जीता-जागता कामयाब उदाहरण रहा।