सुंदरता का सदाबहार सुरक्षा कवच है सनस्क्रीन!
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सुंदरता का सदाबहार सुरक्षा कवच है सनस्क्रीन!

सनस्क्रीन को ज़्यादातर लोग सिर्फ़ सन-प्रोटेक्शन क्रीम समझ लेते हैं।

सुंदरता का सदाबहार सुरक्षा कवच है सनस्क्रीन!

सनस्क्रीन को ज़्यादातर लोग सिर्फ़ गर्मियों में तेज़ धूप से त्वचा को बचाने के लिए लगाई जाने वाली एक क्रीम या लोशन भर समझ लेते हैं। उनके अनुसार सर्दियों की गुनगुनी धूप में सनस्क्रीन का भला क्या काम! अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि सनस्क्रीन क्यों है हर मौसम में सदाबहार सुंदरता का सुरक्षा कवच।

कंप्यूटर और स्मार्टफोन के नुकसान से भी बचाता है सनस्क्रीन

यह बात बहुत ही कम लोगों की जानकारी में रहती है कि त्वचा पर सनस्क्रीन का प्रयोग करना जितना सूरज की हानिकारक किरणों से बचाव के लिए ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी तब भी है, जब आप बहुत देर तक कंप्यूटर, लैपटॉप या स्मार्टफोन पर काम करते हों। ऐसा करते हुए भी आप देर तक उन हानिकारक किरणों के संपर्क में रहते हैं, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं। कुछ एक्सपर्ट्स का तो यहां तक मानना है कि अगर काफ़ी ज़्यादा देर तक कंप्यूटर या स्मार्टफोन पर काम किया जाए तो इससे निकलने वाली किरणें त्वचा के लिए उतनी ही नुकसानदेह हैं, जितनी कि लगभग आधे घंटे तक धूप की तेज़ रौशनी में बैठने पर हो सकती हैं, इसलिए सनस्क्रीन का प्रयोग आपको इन हानिकारक किरणों के प्रभाव से भी बचाता है। 

सनस्क्रीन बचाता है प्रदूषण से भी

आजकल के समय में प्रदूषण से शायद ही कोई बच पाया हो। पहले सिर्फ़ दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों को ही प्रदूषण की चपेट में माना जाता था, लेकिन अब तो कोई भी जगह शायद ही ऐसी मिले, जहां प्रदूषण का असर कम या ज़्यादा न हो। महानगरों में तो प्रदूषण का हाल ये है कि न सिर्फ़ घरों के बाहर निकलने पर ही त्वचा इसके संपर्क में आती है, बल्कि घर के अंदर रहने पर भी प्रदूषण के हानिकारक तत्वों से बचा नहीं जा सकता, इसलिए एक अच्छे सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना जितना ज़रूरी घर से बाहर निकलते हुए है, उतना ही ज़रूरी घर के भीतर रहते हुए भी है। अपनी नियमित क्रीम के इस्तेमाल से पहले त्वचा पर सनस्क्रीन ज़रूर लगाना चाहिए। यह त्वचा को प्रदूषण के हानिकारक असर से काफ़ी हद तक बचाने का काम भी करता है।

सिर्फ़ गर्मियों के लिए ही नहीं होता सनस्क्रीन

इसमें कोई दोराय नहीं है कि विटामिन डी के लिए सूरज की रौशनी से बेहतर कोई विकल्प नहीं है, लेकिन यह भी जानना ज़रूरी है कि सूरज की रौशनी में विटामिन डी भरपूर मात्रा में सुबह सूरज उगने के समय 25 से 30 मिनट तक ही मिलता है। उसके बाद सूरज से निकलने वाली अल्ट्रा वायलेट किरणें त्वचा को फ़ायदे की बजाय कई तरह के नुकसान भी पहुंचाती हैं। 

यहां हम ये भी बताते चलें कि कुछ एक्सपर्ट्स के अनुसार हड्डियों की परेशानी झेल रहे रोगियों को सूरज की रौशनी में सुबह 10 से दोपहर 3 बजे के बीच ही बैठना चाहिए। यह उनकी हड्डियों की तकलीफ़ के लिए राहत भरा होता है, लेकिन इसके अलावा सूरज की ये हानिकारक किरणें त्वचा को सर्दियों में भी उतना ही नुकसान पहुंचाती हैं, जितना कि गर्मियों की धूप में।

गर्मियों के मौसम में जहां गर्मी के चलते लोग सूरज की रौशनी में आने से बचते हैं और सनस्क्रीन का इस्तेमाल भी आसानी से जमकर कर लेते हैं, वहीं सर्दियों के मौसम में ठंड के कारण लोगों को हर वक़्त की धूप अच्छी लगती है और वे सनस्क्रीन लगाने से बचते हैं। अगर हम एक्सपर्ट की मानें तो गर्मियों के मौसम में सूरज से यू वी बी किरणें निकलती हैं, जो कि त्वचा के लिए हानिकारक समझी जाती हैं, लेकिन सर्दियों के दिनों में निकलने वाली यू वी ए किरणें भी त्वचा के लिए कम घातक नहीं होतीं, क्योंकि इससे झुर्रियां, सनबर्न, टैनिंग, रैशेज़, पिगमेंटेशन और धब्बे जैसी समस्याएं आसानी से हो जाती हैं। अगर सुबह के कुछ समय को छोड़ दें तो बाकी समय में सूरज की तेज़ अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा के लिए हर मौसम में नुकसानदेह होती हैं।

इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए यह बहुत ज़रूरी हो जाता है कि अगर आप अपनी त्वचा को हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों के साथ-साथ प्रदूषण के दुष्प्रभावों से भी बचाना चाहते हैं तो सनस्क्रीन का नियमित रूप से इस्तेमाल ज़रूर करें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि सनस्क्रीन का चुनाव किसी विज्ञापन से प्रभावित होकर नहीं, बल्कि अपने डर्मोटोलॉजिस्ट की सलाह से ही करें, ताकि वह सनस्क्रीन आपकी आयु और त्वचा संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने वाला हो। तभी मिल सकेगा आपकी त्वचा को संपूर्ण सुरक्षा कवच।