नुकसान देह हो सकती है सर्दियों में पर्सनल हाइजिन की अनदेखी
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नुकसान देह हो सकती है सर्दियों में पर्सनल हाइजिन की अनदेखी

अगर आप चाहते हैं सर्दियों में भी हर लिहाज़ से बेहतर सेहत तो आपको ध्यान रखना होगा पर्सनल हाइजिन का।

नुकसान देह हो सकती है सर्दियों में पर्सनल हाइजिन की अनदेखी

पर्सनल हाइजिन, यानी व्यक्तिगत स्वच्छता की ज़रूरत यूं तो हमेशा होती है, लेकिन सर्दियों में इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। अधिकांश लोग इस मामले में जागरूक होते हैं, लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि किसी और मौसम में सर्दियों के मुकाबले साफ़-सफ़ाई की ज़रूरत ज़्यादा होती है, जबकि सर्दियों में ऐसा नहीं है। यदि हम विशेषज्ञों की बात मानें तो सर्दियों के मौसम में भी पर्सनल हाइजिन मेंटेन करना बेहद ज़रूरी ही नहीं होता, बल्कि इसकी अनदेखी कई तरह के संक्रमण भी पैदा कर सकती ह । सो यहां हम हेल्थ केयर एक्सपर्ट से बातचीत के आधार पर कुछ टिप्स बता रहे हैं-

1.    सर्दियों में भी होती है पसीने की बदबू की समस्या

बहुत से लोगों को लगता है कि पसीना आना सिर्फ़ गर्मियों में होने वाली ही समस्या है, लेकिन यह सही नहीं है। चाहे भले ही आपको बहुत ज़्यादा पसीना न आता हो या आप इस तरह के काम न करते हों कि जिसमें पसीने की धार बह निकले, लेकिन मानवीय शरीर की संरचना ही ऐसी है कि पसीने द्वारा शरीर अपनी भीतरी गंदगी को हर मौसम में बाहर निकालने का काम करता है और ऐसा सर्दियों में भी होता ही है। यह संभव है कि सर्दियों में पसीने से उस तरह से बदबू न आए, जैसाकि गर्मियों में होता है, मगर थोड़ा-बहुत पसीना तो आता ही है। ख़ासतौर पर अंडरआर्म्स या पर्सनल पार्ट के आस-पास ऐसा होता ही है, इसलिए पर्सनल हाइजिन का ध्यान रखने की ख़ास ज़रूरत होती है।

2.    नहाने को न कहें नहीं

अब आपको हो सकता है कि हमारी बात बचकानी लगे, लेकिन कुछ लोग वाकई सर्दियों के मौसम में रोज़ाना नहाने से न सिर्फ़ बचते हैं, बल्कि इसकी बहुत ज़्यादा अहमियत को भी नकारते हैं। यहां तक कि अगर मौसम बहुत ज़्यादा ठंडा है या फिर आप रहते ही ऐसी जगह हैं, जो ठंडी ही नहीं, लगभग बर्फ़ीली ही है, तब भी नियमित स्नान आपके लिए उतना ही ज़रूरी है, जितना कि किसी गर्म जगह पर रहने वाले व्यक्ति के लिए हो सकता है। बाथ का काम सेंट, परफ्यूम या डियो से चलाने की कोशिश न करें, क्योंकि ये आपको उन इंफेक्शन से बचाने में काम नहीं आ पाएंगे, जो आपको पर्सनल अनहाइजिन की वजह से आसानी से लग सकते हैं।

3.    कपड़ों से भी जुड़ा है पर्सनल हाइजिन

सर्दियों में इस्तेमाल होने वाले कपड़े, जैसेकि- स्वेटर, शॉल, सॉक्स वग़ैरह गर्म और मोटे होने के चलते धोना आसान नहीं होते हैं। साथ ही ये देखने में बहुत जल्दी गंदे भी नहीं लगते हैं, इसलिए ऐसा मान लिया जाता है कि इन्हें कई बार पहना जा सकता है और जल्दी-जल्दी धोने की ज़रूरत नहीं है। यह भी एक ग़लत धारणा है, क्योंकि सर्दियों में भी प्रदूषण की मात्रा कम नहीं होती है, बल्कि अगर देखा जाए तो कई बार सर्दियों में प्रदूषण इतना ज़्यादा होता है कि लोग उसे कोहरे जैसा ही समझ लेते हैं, जबकि असल में वह कोहरे की अधिकता के चलते ही होता है। इसके चलते भी हमारे पहने हुए कपड़ों पर कीटाणुओं का हमला उतना ही घातक होता है, जितना किसी और मौसम में। सो चाहे अपने स्वेटर वग़ैरह भी नियमित रूप से बदलें और नियमित रूप से ही धोएं।

4.    अंदरूनी कपड़ों की स्वच्छता है ज़्यादा ज़रूरी

ये एक ऐसी आदत होती है, जो बहुत लोगों में होती है, लेकिन ज़ाहिर कम ही होती है। सर्दियों में भी हर बार बाथ लेने के बाद अंडरगार्मेंट्स बदलना काफ़ी ज़रूरी होता है, क्योंकि इसके चलते न केवल स्किन इंफेक्शन या रेशेज़ की समस्या हो सकती है, बल्कि ये आपको बॉडी ऑर्डर के शिकार भी बना सकते हैं। इसके अलावा सर्दियों में ड्राइनेस से बचने के लिए अक्सर लोग बॉडी लोशन या माश्चराइज़र लगाते हैं, जिससे त्वचा पर एक चिकनी सी परत बन जाती है, जो कि बाहरी गंदगी को आकर्षित करने का काम करती है, कपड़ों से ढके होने के बावजूद। यहां यह बात याद रखना भी बेहद ज़रूरी है कि अक्सर लोग यह मान लेते हैं कि बाहरी गंदगी या प्रदूषण से शरीर का केवल उतना ही भाग प्रभावित होता है, जितना कि खुला होता है। यह भी एक ग़लत धारणा है, क्योंकि अब प्रदूषण का लेवल इतना ज़्यादा बढ़ चुका है कि कवर्ड स्किन भी इसके प्रभाव से अछूती नहीं रह गई है।