चेरिटेबल बर्ड्स हॉस्पिटल- पक्षियों के इस हॉस्पिटल के बारे में जानते हैं आप?
Welcome To CitySpidey

Location

चेरिटेबल बर्ड्स हॉस्पिटल- पक्षियों के इस हॉस्पिटल के बारे में जानते हैं आप?

घायल पशु-पक्षियों के मुफ़्त इलाज और सर्जरी तक करने के लिए समर्पित है चेरिटेबल बर्ड्स हॉस्प

चेरिटेबल बर्ड्स हॉस्पिटल-  पक्षियों के इस हॉस्पिटल के बारे में जानते हैं आप?

क्या आप भी उन लोगों में से हैं, जिन्हें रंग-बिरंगे परिंदों से भरा आसमान या फिर छोटे-छोटे पशु-पक्षियों को देखकर जितनी ख़ुशी महसूस होती है, उन्हें जख़्मी या तकलीफ़ में देखने पर आपका दिल उतना ही दर्द से भी भर उठता है और आप समझ नहीं पाते कि ऐसे में उनकी तकलीफ़ कम करने के लिए, उनके जख़्म भरने के लिए क्या करें तो दिल्ली का चेरिटेबल बर्ड्स हॉस्पिटल आपके इस सवाल का जवाब है।

जी हां, आपने ठीक पढ़ा, हम यहां आज बात कर रहे हैं, एक ऐसे अस्पताल की, जो यूं तो ख़ासतौर पर घायल पक्षियों की देखभाल के लिए जाना जाता है, मगर यहां पर घायल या बीमार छोटे पशुओं का इलाज भी होता है और वह भी बिल्कुल मुफ़्त।

दिल्ली की ख़ासियतों में होती है गिनती 

जब दिल्ली का नाम ज़ेहन में आता तो पहली जगह जो ज़ेहन में उभरती है, वह है दिल्ली के चांदनी चौक का इलाक़ा, जहां ख़ूबसूरत नज़ारों, शानदार ज़बानी ज़ायक़े और ऐतिहासिक धरोहरें एक साथ मिल जाती हैं। यहीं स्थित जैन मंदिर के प्रांगण में स्थित है यह चेरिटेबल बर्ड्स हॉस्पिटल। इस जगह को लाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।  

दशक भर पुराना है इतिहास

यह चेरिटेबल बर्ड्स हॉस्पिटल वर्ष 1929 में जैन संत (महाराज जी) द्वारा स्थापित किया गया था। शुरुआत में यह अस्पताल किनारी बाज़ार के एक महज़ एक कमरे में हुआ करता था, जिसे फिर बाद में श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर में बाकायदा स्थापित कर दिया गया। यह मंदिर लाल किले के ठीक सामने मौजूद है। 

पूरी तरह से है दान पर आधारित

पूरे विश्व में यह अस्पताल अपने आप में अनोखा इसलिए भी है, क्योंकि यहां पर घायल तथा बीमार पशु-पक्षियों का इलाज न सिर्फ़ पूरी तरह से मुफ़्त और समर्पित सेवाभाव से चलता है, बल्कि यहां की पूरी व्यवस्था और इंतज़ाम दान में मिले पैसों से ही चलता है। वैसे तो यहां दान देने वालों में हर धर्म, विश्वास और मत के लोग मौजूद हैं, लेकिन मिलने वाले दान का लगभग 95 प्रतिशत केवल जैन समुदाय द्वारा ही इक्ट्ठा हो जाता है।

घायल पक्षियों की होती है सर्जरी तक

इस चेरिटेबल बर्ड्स हॉस्पिटल में बीमार व घायल पशु-पक्षियों का इलाज तो किया ही जाता है, मगर ख़ासतौर पर यह स्थान पक्षियों की सेवा को समर्पित है, जैसाकि इसके नाम से ही ज़ाहिर होता है। ज़रूरत पड़ने पर पशु-पक्षियों के इलाज के अलावा उनकी सर्जरी तक की जाती है, जिसके लिए बाकायदा एक प्रशिक्षित डॉक्टर तक तैनात हैं। साथ ही बीमार पक्षी, जो ख़ुद कुछ खा-पी पाने में असमर्थ होते हैं, उन्हें खिलाने-पिलाने व सेवा करने के लिए भी बाकायदा लोगों को नियुक्त किया गया है। हालांकि इस काम के लिए उन्हें वेतन भी दिया जाता है, लेकिन  इस काम को करते हुए उनमें जो सेवाभाव, समर्पण, दया, ममता और इंसानियत देखने को मिलती है, वह इनके इस जज़्बे के सामने किसी को भी सिर झुकाने को मजबूर कर देगी। 

पक्षियों को चाहिए नाज़ुक सा आशियाना

पक्षी बहुत नाज़ुक और संवेदनशील होते हैं, इसलिए यहां मौसम और  उनकी प्रकृति के अनुसार उन्हें गर्म या ठंडा वातावरण भी उपलब्ध कराया जाता है। उनकी संवेदनशीलता को ही ध्यान में रखते हुए उनके लिए छोटे-छोटे कृत्रिम घोंसले तक बनाए गए हैं। कुछ पक्षी मांसाहारी भी होते हैं, लेकिन यहां जैन मत के अनुसार उन्हें शाकाहारी आहार ही  उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन उसमें इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि वह उनकी प्रकृति के अनुरूप और पूरी तरह से पौष्टिक हो। साथ ही पचने में भी आसान हो, क्योंकि घायल या बीमार पशु-पक्षियों के इलाज के साथ-साथ उनके खान-पान में भी बहुत सावधानी बरतने की ज़रूरत होती है।

पक्षियों के लिए हैं विशेष इंतज़ाम

इस अस्पताल में पक्षियों का इलाज उनकी प्रकृति को देखते हुए होता है। इलाज में कभी भी, किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है। पक्षियों को उनकी ज़रूरत के अनुसार दवा दी जाती है, इलाज किया जाता है, ज़रूरत पड़ने पर सर्जरी तक होती है और इन सबके साथ-साथ उनके पूरी तरह से ठीक होने तक उनकी ख़ास देखभाल भी की जाती है। जैन समुदाय द्वारा संचालित होने के चलते यहां पशु-पक्षियों को जो भोजन उपलब्ध कराया जाता है, वह पूरी तरह से शाकाहारी और सात्विक होता है। यहां तक कि पक्षियों को दिए जाने वाला दाना तक इस प्रकार से चुना जाता है, जो कि उनकी बीमार दशा के अनुकूल हो।

ठीक होने पर मिलता है खुला आसमान

यहां पर एक विशेष नियम यह है कि कोई भी व्यक्ति यहां पर घायल पक्षी अथवा छोटे पशु लेकर आ सकता है। यहां किसी की जाति, धर्म, मत, संप्रदाय जैसी बातों पर कभी ध्यान नहीं दिया जाता, जैसाकि कुछ लोगों को इस बात की ग़लतफ़हमी है कि जैन समुदाय द्वारा संचालित होने के चलते शायद यहां ऐसा होता है, जबकि यह भ्रम है। हां देखभाल ज़रूर पूरे सात्विक व शुद्ध शाकाहारी तरीके से होती है। साथ ही यहां का एक विशेष नियम यह भी है कि ठीक होने पर पक्षियों को वापस नहीं किया जाता है, क्योंकि ठीक होते ही उन्हें खुले आसमान में उड़ा दिया जाता है। इसके पीछे यह विश्वास भी काम करता है कि किसी भी पक्षी के पंखों को पहला हक़ खुला, आज़ाद आसमान होता है।

पूरे हफ़्ते खुला रहता है अस्पताल

यहां कि पूरी व्यवस्था मुख्य रूप से यहां के संचालक अतिशय जैन देखते हैं। वे बताते हैं कि यह सेवाकार्य पीढ़ी दर पीढ़ी उनके परिवार में एक व्यक्ति से दूसरे को सौंपा जाता रहा है, जिसमें अनेक लोग परोपकार के चलते जुड़ते चले जाते हैं और जो समय नहीं दे पाते, वे दान द्वारा अपना सहयोग देते हैं। यह अस्पताल पूरे हफ़्ते खुला रहता है। यहां आप चाहें तो अपने पालतू पक्षियों या छोटे पशुओं को इलाज के लिए ला सकते हैं या फिर अगर आपको कहीं कोई घायल या बीमार पशु-पक्षी मिलता है, जिसके दर्द को आपने भी महसूस किया हो तो उसे भी आप यहां ला सकते हैं। यहां  उन सभी के दर्द और रोग का इलाज किया जाता है।

परोपकार के लिए करते हैं प्रोत्साहित

अतिशय जैन बताते हैं कि लोगों को पक्षियों को पालने का शौक तो होता है, लेकिन वे समझते हैं कि पक्षियों को प्यार करने का मतलब उन्हें पिंजरों में क़ैद करके दाना-पानी देना होता है, जबकि पक्षियों की असल जगह खुला आसमान है। लोग बड़े शौक से लव बर्ड्स तो ले आते हैं, लेकिन उसके स्वभाव की मिलनसारता और उसकी सेहत का नाज़ुक मिज़ाज नहीं समझ पाते हैं। मिट्ठू-मिट्ठू बोलता तोता सभी को लुभाता है, लेकिन उसे किस तरीके का खान-पान देना होता है, यह अक्सर ज़्यादातर लोगों को नहीं पता होता। यहां तक कि बहुत से लोग सड़क किनारे मौजूद पक्षियों को दाना-पानी डालकर चले जाते हैं, लेकिन हर पक्षी का आहार एक सा नहीं होती और जो पानी है, उसे भी जल्दी-जल्दी बदलने की ज़रूरत होती है, क्योंकि एक पक्षी के द्वारा की गई गंदगी वाला पानी पीने से दूसरे पक्षी बीमार हो जाते हैं। यहां इलाज करते हुए इन सभी बातों का पूरा-पूरा ख़याल भी रखा जाता है और दूसरों को भी इस बारे में सचेत करने की कोशिशें होती हैं।

अतिशय जैन

 

पक्षियों को चाहिए प्यार के साथ सावधानी भी

अगर आप भी पशु-पक्षियों को प्यार करते हैं तो उनके मिज़ाज और आदतों को सबसे पहले समझने की कोशिश कीजिए। उन्हें पिंजरों में क़ैद करने की बजाय उनके लिए अपने आस-पास जहां भी संभव हो, छोटे-छोटे घोंसले या रहने की जगह बना दीजिए। उनका दाना-पानी और आहार भी उनकी प्रकृति को ध्यान में रखते हुए ही दीजिए। उस स्थान को समय-समय पर साफ़ भी करते रहिए और पानी तो दिन में कम से कम दो से तीन बार ज़रूर बदलिए। कई पक्षी ज़्यादा सर्दी नहीं बर्दाश्त कर पाते तो कई पक्षी गर्मियों में तेज़ धूप या लू के चलते ज़्यादा बीमार पड़ते हैं। अगर आप सही मायनों में उन्हें प्यार करते हैं तो उन्हें बीमार पड़ने पर या घायल होने पर अकेला छोड़ने की बजाय इस चेरिटेबल बर्ड्स  हॉस्पिटल में ले आइए। यहां उन्हें मिलेगा प्यार, देखभाल और इलाज, जो शायद वक़्त की कमी के चलते या ज़िंदगी की भागदौड़ या किसी अन्य मजबूरी के चलते अक्सर हम नहीं कर पाते। यह पक्षी अस्पताल समर्पित है पशु-पक्षियों के इसी सेवाभाव को।