यूं तो होली का त्योहार अभी कुछ दिनों की दूरी पर है, लेकिन अगर बाज़ार पर एक नज़र डाली जाए तो यह कई दिनों पहले से ही होली के रंग-अबीर, गुलाल से रंगा पड़ा है। हो भी क्यों न, कोरोना जैसी महामारी का सामना करने के बाद इस बार की होली सही अर्थों में लोगों को अपने रंग में रंगने को तैयार है। अब जब हमारी सारी तैयारी बाज़ार की बदौलत ही होती है तो बाज़ार भी अपनी तैयारी में पीछे क्यों रहे। लिहाज़ा, तैयार हैं बाज़ार, आपकी होली की शॉपिंग के लिए।
बैग पिचकारी
होली की मस्ती में तो सभी मस्त नज़र आते हैं, पर बच्चों की मस्ती के कहने ही क्या। छुट्टी के मज़े तो त्योहार के दिन ही लिए जा सकते हैं, जब पढ़ाई से थोड़ी देर के लिए राहत मिलती है, लेकिन बाज़ार में उतरी बैग पिचकारी आपको ज़्यादा देर ये बात भूलने नहीं देती। हां, बच्चों में इस बैग शेप पिचकारी को लेकर क्रेज़ ज़रूर ख़ूब नज़र आ रहा है।
गुलाबी गुलाल
भला गुलाल के बिना होली अपने रंग में नज़र ही कहां आती है। पारंपरिक गुलाल के साथ-साथ हर्बल गुलाल की मांग भी ज़ोरों पर है।
संभलता बाज़ार
पिछले लगभग दो सालों से होली का त्योहार काफ़ी फीका-फीका बीता, पर इस बार लोगों का उत्साह दुकानदारों के चेहरों पर भी नज़र आ रहा है।
महकते रंग
ये रंग हमेशा से लोगों की पहली पसंद में शामिल रहे हैं, क्योंकि इन रंगों की बदौलत जब आप भीगते हैं तो रंगों के साथ-साथ एक भीनी-भीनी महक भी आपको अपने में सराबोर कर लेती है।
कार्टून केरेक्टर्स वाली पिचकारी
कार्टून्स तो हमेशा से बच्चों की पहली पसंद माने जाते हैं। किसी भी और पिचकारी की बजाय बच्चों का रुझान अपने फेवरेट कार्टून कैरेक्टर्स वाली पिचकारी की तरफ़ ज़्यादा है।
हेयर प्रोटेक्शन विग
रंगों से बालों को बचाना होली का एक अलग ही चैलेंज होता है, पर बाज़ार के पास इस बार इस समस्या का समाधान भी बड़े ख़ूबसूरत ढंग से मौजूद है, रंग-बिरंगी विग के रूप में।
फेस मास्क
होली भी खेलनी है और चेहरे को भी बचाना है। मस्ती भी कम न हो, लेकिन रंग चेहरे पर भी नज़र न आए तो इसके लिए रंग-बिरंगे, अलग-अलग शेप में फेस मास्क बाज़ार में मौजूद हैं।
रंगों से मुस्कुराता बाज़ार
बाज़ार में हर तरह की डिमांड पूरी करने के लिए कुछ न कुछ मौजूद है। कुछ लोग सिर्फ़ हर्बल, सोबर शेड और महकते रंग ही लेना चाहते हैं तो कुछ को खुले रंगों तक से परहेज़ नहीं है। गुब्बारों से पानी भरकर खेलने तक तो ठीक है, मगर पानी भरकर गुब्बारे मारना उतनी ही बुरी बात। हां, मगर होली हो और बाज़ार में रंग-बिरंगे गुब्बारे न दिखें, ऐसा कैसे हो सकता है। वे तो हैं ही, समझने-समझाने का काम आपको खुद ही करना पड़ेगा।
बंदूक की नोक पर रंग
इस बार आप अपनी बंदूक से गोली नहीं, होली के रंग बरसाइए। खुद भी भिगिए, औरों को भी भिगाइए।
बस रंगों से न बनाएं इस बार दूरी और ज़ोर से कहें मुबारक हो होली!