कभी-कभी क्या आपको भी लगता है कि अचानक से आपके दिल की धड़कनें तेज़ हो गई हैं, चक्कर आने लगे हैं या कभी-कभी अचानक आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है तो माफ़ कीजिए, ये लक्षण इश्क़-मोहब्बत के हों या न हों, एनीमिया के ज़रूर हैं। अब अगर आपको भी एनीमिया की शिकायत हो गई है तो घबराने की ज़रूरत नहीं है। वर्तमान जीवनशैली और खान-पान की ग़लत आदतों के चलते एनीमिया आसानी से होने वाली समस्या है, जो कि किसी को भी हो सकती है। राहत की बात यही है कि एनीमिया जितनी आसानी से चपेट में ले लेता है, इससे निजात पाना भी उतना ही आसान है। एनीमिया क्या है और इससे जुड़े तमाम पक्ष और संभावित समाधान क्या हो सकते हैं, आइए इसी बारे में कुछ और जानें।
होता क्या है एनीमिया
एनीमिया को आम ज़बान में कहें तो यह ख़ून की कमी के रूप में पहचाना जाता है। दरअसल हम इसे यूं भी समझ सकते हैं कि हमारे ख़ून में एक प्रकार का तत्व पाया जाता है, जिसे हीमोग्लोबिन कहते हैं। जब हीमोग्लोबिन कम हो जाता है, यानी कि हमारे शरीर के ख़ून के अंदर लाल रक्त कोशिकाएं (रेड ब्लड सैल्स) कम हो जाती हैं, उसी को एनीमिया कहा हैं। ये हमारे शरीर में ख़ून के साथ-साथ ऑक्सीजन पहंचाने के स्रोत भी हैं। हमारे शरीर में लौह तत्व भी इसी कारण से प्रभावित होता है।
इन लक्षणों से पहचानें एनीमिया की शुरुआत
क्या आपके साथ भी ऐसा हो रहा है कि काफ़ी मेहनत करने के बावजूद भूख खुलकर नहीं लगती, नींद पूरी होने के बावजूद लगातार थकान बनी रहती है, अक्सर चक्कर आते हैं, कभी-कभी दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं, आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है, लगातार थकान बनी रहती है, चिड़चिड़ाहट से परेशान हो चुके हैं, शरीर में या पैरों में लगातार सूजन बनी रहती है, चलने-फिरने में दिक्कत होती है, अक्सर सिर दर्द रहता है, शरीर में ताकत या ऊर्जा महसूस नहीं होती, बस ये सारे लक्षण एनीमिया के ही हैं।
वैसे हम एक बात आपसे ज़रूर कहना चाहेंगे कि ये सभी लक्षण नज़र आने के बावजूद ख़ुद किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले अपने फैमिली डॉक्टर से एक बार ज़रूर मिल लें और यदि वे कोई टैस्ट करने की सलाह दे रहे हैं तो वह टैस्ट करवाना भी ज़रूरी है। कोई भी दवा उन्हीं की सलाह से शुरू कीजिए, अपने-आप नहीं। हां, जीवनशैली और खान-पान की आदतों में सुधार आप अपने स्तर पर भी कर सकते हैं।
कौन हो सकता है एनीमिया का शिकार
एनीमिया ख़ास तौर से महिलाओं में होने वाली बीमारी मानी जाती रही है। मासिक चक्र के कारण, गर्भावस्था के दौरान, डिलीवरी के समय या उसके बाद बहुत अधिक रक्तपात होना भी एनीमिया का शिकार बना सकता है। बहुत हद तक यह है भी महिलाओं को ही होने वाला रोग, लेकिन आज की ग़लत जीवनशैली ने पुरुषों को भी इस रोग की चपेट में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। यहां तक कि अगर पाइल्स, यानी कि बवासीर जैसी बीमारी के चलते किसी को रक्तपात की समस्या है तो वह भी आसानी से एनीमिया का शिकार हो सकता है। लीवर या किडनी की किसी गंभीर बीमारी में भी एनीमिया के लक्षण देखने को मिल जाते हैं, लेकिन ये सारी बातें एक डॉक्टर से परामर्श के बाद ही पूरी तरह से स्पष्ट हो पाती हैं।
क्या होगा एनीमिया का परिणाम
एनीमिया जैसी समस्या को अक्सर लोग बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं, लेकिन इस समस्या को नज़रअंदाज़ करना बहुत भारी पड़ सकता है। लंबे समय तक इसका इलाज न करने का नतीजा यह भी हो सकता है कि आप शारीरिक रूप से इतने कमज़ोर हो जाएं कि आप में किसी काम को करने की ऊर्जा ही न बचे। आपकी सारी शक्ति ही समाप्त हो जाए। दिल की धड़कनें बार-बार बढ़ने के चलते हार्ट फेलियर या हार्ट अटैक तक के ख़तरे बढ़ जाते हैं।
कैसे बच सकते हैं एनीमिया से
रोग का इलाज कराने से अच्छा तो यही होता है कि रोग होने ही न दिया जाए। फिर भी अगर आप इस रोग, यानी एनीमिया की चपेट में आ गए हैं तो सबसे पहले किसी अच्छे या अपने फैमिली डॉक्टर से सलाह लें और उनकी सलाह के आधार पर ही कोई दवा लेनी शुरू करें। इसके अलावा आप अपनी खान-पान की आदतों पर ख़ास तौर पर ध्यान देना शुरू कीजिए।
इसमें जो मुख्य तत्व यानी कि आयरन (लौह) है, उसे तो बहुत सारे पोषक तत्वों से भरे-पूरे आहार की मदद से भी दूर किया जा सकता है। उसके साथ ही ऐसा आहार भी मिले-जुले रूप में लेना चाहिए, जो इसे शरीर आत्मसात होने में मददगार हो, जैसेकि- गाजर, पालक, चौलाई, पुदीना-धनिया, चुकंदर, अनार, गुड़, सोयाबीन, नींबू, आंवला, अंडा, मुर्गा, मछली वगैरह आपके शरीर में आयरन की कमी को पूरा भी करेगी और शरीर में आयरन को आत्मसात होने में भी मदद करेगी।
फोलिक एसिड और विटामिन बी-2 की कमी को डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं या फूड सप्लिमेंट से दूर किया जा सकता है।
इसके अलावा जितना हो सके, सिगरेट, शराब, बहुत ज़्यादा या खाने के तुरंत बाद चाय-कॉफी पीने से परहेज़ करें। यह आपके शरीर में एनीमिया के पनपने की भूमिका तो बना ही देता है, साथ ही बाकी रोगों का शिकार होने से भी आपका बचना मुश्किल कर सकता है। स्वस्थ शरीर में ही आपकी वास्तविक सफलता छिपी है, इसलिए सबसे पहले रखिए अपने शरीर का ख़याल।
(सीनियर फिजिशियन डॉक्टर अशोक रामपाल से बातचीत पर आधारित)