दूसरों का मोहताज बना देता है ऑस्टियोपोरोसिस

By : Damini Yadav
Oct 20, 2021

ऐसा शायद ही कोई हो, जिसे एक आरामदायक ज़िंदगी अच्छी न लगती हो। यहां तक कि कई लोगों का तो ये मानना है कि आज सभी एक आरामदायक जीवन पाने के लिए ही तो सारी भागदौड़ करते हैं, लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इसी आरामदायक जीवनशैली ने हमें कई रोगों का शिकार भी बना दिया है। अब ऑस्टियोपोरोसिस को ही ले लीजिए।  न सिर्फ़ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में ही लोग काफ़ी तेज़ी से इसकी चपेट में आ रहे हैं, इसीलिए 20 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘वर्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे’ के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस घातक समस्या के प्रति आगाह किया जा सके। 

क्या है ऑस्टियोपोरोसिस

ऑस्टियोपोरोसिस को हिंदी में अस्थिभंगुरता अथवा भुरभुरा रोग भी कहते हैं। यह हड्डियों से संबंधित एक बेहद संवेदनशील और घातक रोग है, जैसाकि नाम से ही ज़ाहिर है कि इसमें हमारी हड्डियां इतनी कमज़ोर हो जाती हैं कि ज़रा-ज़रा सी चोट भी उनमें फ्रैक्चर का ख़तरा पैदा कर देती है, जिससे उबरना आसान नहीं होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग हर पांच में से एक व्यक्ति इस रोग से पीड़ित है, जिनमें महिलाओं की संख्या ज़्यादा है। फिर भी इस बारे में जागरुकता की भारी कमी देखने को मिलती है।

ऑस्टियोपोरोसिस के कारण

शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की भारी कमी इस रोग के कारणों में से मुख्य है और इसकी सबसे बड़ी वजह है आजकल की जीवनशैली, जिसके चलते न हम अपने आहार पर पूरी तरह से ध्यान दे पाते हैं और न ही हमारे पास इतना समय होता है कि रोज़ाना नियमित रूप से आधा-पौना घंटा सूरज की रोशनी में बिता सकें, ताकि हमारी हड्डियों के लिए बेहद ज़रूरी विटामिन डी हमें मिल सके। अच्छे खान-पान के नाम पर दूध, दही, घी वग़ैरह की जगह जंक फूड ने ले ली है, जिसके चलते हड्डियों को सही पोषण नहीं मिल पाता और वे कमज़ोर होना शुरू हो जाती हैं। 

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किसे होता है ऑस्टियोपोरोसिस

इस रोग का संबंध उन सभी से है, जो भी हड्डियों की कमज़ोरी की समस्या से जूझ रहे हैं। शुरुआत अर्थोराइटिस से होकर यह रोग बढ़ते-बढ़ते बेहद ख़तरनाक रूप ले लेता है और हड्डियों में भुरभुराहट तक होने लगती है। वैसे तो यह रोग स्त्रियों और पुरुषों दोनों को ही होता है, लेकिन महिलाओं में इस रोग के होने का ख़तरा और इसकी जटिलता दोनों ही बहुत ज़्यादा होती है। महिलाओं में ख़ासतौर पर 30 की उम्र के बाद हड्डियों के नया बनने की प्रक्रिया धीमी पड़ने लगती है, जो कि मेनोपॉज़ के बाद और तेज़ी से प्रभावित होने लगती है। इसके अलावा अगर परिवार में किसी को गठिया, अर्थोराइटिस, ऑस्टोअर्थोराइटिस या ऑस्टियोपोरोसिस जैसा रोग रहा हो तो यह रोग होने की संभावना काफ़ी हद तक बढ़ जाती है। 

क्या है ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के तरीके

जैसाकि हमने शुरुआत में बताया कि यह ख़राब जीवनशैली जनित रोग है, इसलिए अगर शुरू से ही अपनी जीवनशैली पर ध्यान दिया जाए तो इस रोग से बचाव संभव है।