इंसान होने की पहचान है रहमदिल होना
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इंसान होने की पहचान है रहमदिल होना

13 नवंबर को ‘वर्ल्ड काइंडनेस डे’, यानी ‘विश्व दयालुता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

इंसान होने की पहचान है रहमदिल होना

13 नवंबर को पूरी दुनिया में ‘वर्ल्ड काइंडनेस डे’ के रूप में मनाया जाता है, यानी यह दिन समर्पित है मानवीय स्वभाव के सर्वोत्तम गुण, दयालुता के नाम। वैसे देखा जाए तो दयालुता, यानी रहमदिली किसी एक दिन का हिस्सा न होकर हमारे हर दिन, हर पल का अभिन्न भाग होना चाहिए, पर अगर आजकल की दुनिया में इस पीछे छूटते और भुलाए जाते गुण को याद रखने के लिए एक दिन तयशुदा हो जाए तो भी कोई हर्ज नहीं है। मकसद तो यही है कि बतौर इंसान हमारे जीवन में इंसानियत बची रहे। 

क्या है महत्त्व वर्ल्ड काइंडनेस डे का


दुनिया में ‘वर्ल्ड काइंडनेस डे’ का वही महत्त्व है, जो एक इंसान के जीवन में दयालुता जैसे गुण के होने का होता है। दयालुता की ज़रूरत सिर्फ़ इंसानों के लिए ही नहीं है, बल्कि हमें अपनी दुनिया को बचाए रखने के लिए पशु-पक्षियों, जीवों, संसाधनों, प्रकृति के प्रति भी दयालुता के गुण को अपनाना सीखना होगा। हम आमतौर पर हमेशा अच्छाई का जो भी रास्ता चुनते हैं, उसमें कहीं न कहीं, जाने या अनजाने ही सही, प्रतिलाभ का एक भाव छिपा सा रहता है, यानी अगर हम किसी के लिए कुछ अच्छा करते हैं तो उसके पीछे एक अपेक्षा यह भी काम करती है कि बदले में हमारे साथ भी कुछ न कुछ अच्छा ही होगा, लेकिन जब हम किसी ऐसे व्यक्ति या जीव पर दया दिखाते हैं, जो बदले में हमें कुछ नहीं दे सकता, हमारे लिए कुछ नहीं कर सकता तो वास्तव में वही सच्ची दयालुता होती है। 


इसके अलावा ऐसा भी नहीं है कि इस निस्वार्थ भावना से किया गया काम हमें कुछ भी देता ही नहीं है। जब भी कभी हम बिल्कुल निस्वार्थ भाव से कोई काम करते हैं तो हमारे मन में एक अलग तरह की खुशी, संतोष और सार्थकता का एहसास पैदा होता है। यह वह एहसास होता है, जिसे बड़ी से बड़ी कीमत चुकाकर भी कहीं से ख़रीदा नहीं जा सकता। 
 
कब से हुई थी शुरुआत ये दिन मनाने की


अगर पारंपरिक रूप से देखा जाए तो दयालुता को हर संस्कृति में एक अहम गुण के रूप में चिन्हित किया गया है। फिर भी औपचारिक रूप से ‘वर्ल्ड काइंडनेस डे’, यानी ‘विश्व दयालुता दिवस’ मनाने की शुरुआत साल 1998 में हुई थी, जब विश्व दयालुता आंदोलन के द्वारा इसे पहली बार प्रस्तावित किया गया था। इस आंदोलन के समर्थन में कई देश शामिल थे। यह कई राष्ट्रों के दयालुता गैर सरकारी संगठनों के एक गठबंधन में पेश किया गया था। इसमें कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया, नाइज़ीरिया और संयुक्त अरब अमीरात जैसे कई देश शामिल थे और इन सभी देशों में यह दिन बड़े उत्साह से मनाया भी जाता है। वर्ष 2009 में सिंगापुर में पहली बार यह दिन आधिकारिक तौर पर बड़ी धूमधाम से मनाया गया था और इसी दिन पहली बार इटली ने भी यह दिन सेलीब्रेट किया था। भारत में भी इसी दिन से वर्ल्ड काइंडनेस डे मनाने की शुरुआत हुई थी। 

कैसे मनाएं इस ख़ास दिन को


सच बताएं तो इस सवाल का जवाब कहीं बाहर नहीं, बल्कि आप के दिल के भीतर ही छिपा है। अपने आप से पूछिए कि आपको क्या करके सच्ची खुशी और संतोष मिल सकता है। बिना किसी गरज़ के किसी के लिए किया गया छोटे से छोटा काम भी असल में बहुत बड़ा होता है और उसकी सबसे बड़ी प्राप्ति होती है, दूसरे के चेहरे पर उभरी मुस्कान की बदौलत अपने दिल में पैदा हुई ख़ुशी। यह आप किसी भी ज़रिये से जुटा सकते हैं, चाहे वह किसी को पब्लिक ट्रांसपोर्ट में एक सीट ऑफर करना हो, किसी ज़रूरतमंद की कोई आर्थिक मदद हो, किसी व्यक्ति, भूखे पशु या पक्षी को कुछ खिला देना या पानी भर पिला देना हो, पक्षियों को मुट्ठी भर दाना डाल देना हो, किसी बुज़ुर्ग को सड़क पार करा देना हो, किसी को बिन मांगे कुछ दे देना हो। सच कहें तो अपने आस-पास एक बार नज़र दौड़ा कर देखिए, ऐसे जाने कितने ही काम निकल आएंगे, जो बहुत बड़े न होने के बावजूद आपके दिल के लिए एक गहरा सुकून जुटा सकते हैं। 


सिर्फ़ इतना ही नहीं, बल्कि अगर आज के संदर्भ में देखें तो दया की जितनी ज़रूरत हम इंसानों को एक-दूसरे के प्रति है, जीवों, पशु-पक्षियों को है, उतनी ही दया हमें अपनी प्रकृति के संरक्षण के प्रति भी अपनाने की ज़रूरत है, क्योंकि जितनी तेज़ी से प्रकृति का दोहन हो रहा है, हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने की बजाय उससे खिलवाड़ करने लगे हैं, ऐसे में यह बहुत ज़रूरी हो गया है कि हम अपनी रहमदिली के दायरे में अपनी प्रकृति को भी लाएं। 


यकीन कीजिए, मुर्झाने की कगार पर पहुंच चुके किसी पौधे पर दोबारा फूल खिलते देखने में आपको जो सुख मिलेगा, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।


आज इस सारी दुनिया को कोई बचा सकता है तो वह है हमारी रहमदिली, हमारी दयालुता। सो इस विश्व दयालुता दिवस पर आप भी कोशिश कीजिए किसी के होंठों पर एक मुस्कान खिलाने की।