कहीं आप भी तो नहीं हो रहे हैं शिकार विंटर ब्लू सिंड्रोम के?
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कहीं आप भी तो नहीं हो रहे हैं शिकार विंटर ब्लू सिंड्रोम के?

विंटर ब्लू सिंड्रोम क्या है और इससे कैसे बचें, आइए जानें कुछ इसी बारे में।

कहीं आप भी तो नहीं हो रहे हैं शिकार विंटर ब्लू सिंड्रोम के?

क्या आप जानते हैं कि विंटर ब्लू सिंड्रोम क्या होता है? हो सकता है कि आप में से बहुत से लोगों को ये पता हो और ये भी मुमकिन है कि काफ़ी लोग इससे प्रभावित होने के बावजूद इससे अनजान हों। दरअसल, विंटर ब्लू सिंड्रोम ख़ासतौर पर सर्दियों के मौसम में होने वाला एक प्रकार का मानसिक अवसाद अथवा डिप्रेशन है। सर्दियों का धुंध भरा, कोहरे की चादर में लिपटा वह मौसम, जो कईयों को शेरो-शायरी के और रोमानियत के मूड से भर देता है, वही मौसम कुछ लोगों को एक तरह के डिप्रेशन की चपेट में भी ले लेता है। तो आइए जानें, कुछ इसी सिंड्रोम के बारे में।

किसे कहते हैं विंटर ब्लू सिंड्रोम

सर्दियों के मौसम में, धुंध अथवा कोहरे भरे दिनों में या फिर कई दिनों तक सूरज न दिखने पर कई लोगों को कुछ अजीब सा महसूस होने लगता है। वे अपने में किसी प्रकार का उत्साह या ऊर्जा नहीं महसूस नहीं करते। उन्हें एक तरह की उदासी जकड़े रहती है। इसी अवसाद की अवस्था को चिकित्सकीय भाषा में विंटर ब्लू सिंड्रोम कहते हैं। यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि इस सिंड्रोम के पीड़ित आमतौर पर बिल्कुल ठीक रहते हैं। केवल सर्दियों या धुंध भरे समय में उन्हें ऐसा महसूस होता है। इसके अलावा ऐसे स्थान, जो कि साल के ज़्यादातर समय बर्फ़ से ढके रहते हैं या जहां कई-कई दिनों तक सूरज नज़र नहीं आता, वहां के निवासियों में भी यह समस्या काफ़ी हद तक देखने को मिलती है।

 

क्या हैं विंटर ब्लू सिंड्रोम के लक्षण

दिलचस्प ये है कि विंटर ब्लू सिंड्रोम के लक्षणों के आधार पर कुछ लोग आपको आलसी तक कह सकते हैं, लेकिन आपको समझना होगा कि अगर आपमें यह लक्षण काफ़ी समय से नज़र आ रहे हैं तो आपको तुरंत किसी मनोचिकित्सक से इस बारे में बात करने की ज़रूरत है। वह समय रहते न केवल आपकी सहायता करेंगे, बल्कि जल्दी ही इस समस्या की चपेट से आपको बाहर भी ले आएंगे।

अब हम आपको बताते हैं विंटर ब्लू सिंड्रोम के लक्षणों के बारे में। सुबह उठने का मन ही न करना, नींद पूरी होने के बावजूद हमेशा सोते रहने की इच्छा होना, किसी से भी मिलने या बात करने की इच्छा न होना, यहां तक कि अपने प्रिय व्यक्ति या घनिष्ठ मित्र तक से भी नहीं, शरीर में हमेशा सुस्ती महसूस होना, यौन इच्छा में कमी होना, भूख न लगना या बहुत ही ज़्यादा लगना, मूड बार-बार ख़राब होना, ये सभी विंटर ब्लू सिंड्रोम के लक्षण हैं।

 

क्या है विंटर ब्लू सिंड्रोम का उपचार

विंटर ब्लू सिंड्रोम से बचने के लिए सबसे पहले अपनी नियमित दिनचर्या में बदलाव की ज़रूरत है। चाहे आपका बिल्कुल भी दिल न चाहे, तब भी आपको इस समस्या की गिरफ़्त से बाहर आने के लिए ऐसा करना ही होगा। अपने सोने-जागने का समय तय कीजिए।

जो आपकी नियमित डाइट है, न तो उससे बहुत कम खाएं और न ही भूख से बहुत ज़्यादा।

कोशिश कीजिए कि आप ज़्यादा समय ऐसी जगह बिताएं, जहां तेज़ रोशनी हो। चाहे काम करते वक्त हो या फिर पढ़ते वक्त, अपने आस-पास रोशनी की अच्छी मात्रा रखिए।

रोज़ाना कम से कम तीस से चालीस मिनट तक व्यायाम ज़रूर कीजिए। कोशिश कीजिए कि व्यायाम आप ऐसा चुनें, जो थोड़ा मनोरंजक भी हो, जैसेकि- एरोबिक्स, ज़ुंबा आदि।

अपनी डाइट में ओट्स, बींस, केला, पास्ता, मछली और विटामिन डी अच्छी मात्रा में शामिल करें।

जब भी धूप निकले तो कम से कम तीस से चालीस मिनट धूप की रोशनी में ज़रूर बिताएं।

जी न भी चाह रहा हो तो भी अच्छी संगीत सुनें। इस समय में तेज़ म्यूज़िक अथवा डांसिंग नंबर आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं।

अगर आपको इन सब उपायों को करने के बावजूद कोई ख़ास फ़र्क महसूस न हो रहा हो तो तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक से मिलकर सलाह लें। वे इस मामले में आपको सही सलाह देने के साथ-साथ ज़रूरी उपचार और वैकल्पिक उपायों के बारे में भी बताएंगे।

तो इस सर्दी कर लीजिए तैयारी मौसम की खुशगवार यादें जुटाने की, न कि बीमारी में मूड ऑफ करके बिताने की।

(वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर समीर पारिख से बातचीत पर आधारित।)