सिर्फ़ सिंगार ही नहीं, गुणों की खान भी है उबटन
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सिर्फ़ सिंगार ही नहीं, गुणों की खान भी है उबटन

आप भी चाहते हैं त्वचा की सुंदरता और ताज़गी दोनों साथ-साथ तो उबटन के फ़ायदे जानकर आप रह जाएंगे हैरान।

सिर्फ़ सिंगार ही नहीं, गुणों की खान भी है उबटन

उबटन के नाम से तो सभी परिचित ही हैं। त्वचा की विशेष देखभाल के लिए उबटन का प्रयोग बरसों से होता चला आ रहा है। अगर हम आसान भाषा में कहें तो यह पहले का समय का भारतीय साबुन है, जिसका इस्तेमाल नहाने से पहले होता था, ताकि मैल, डेड स्किन, टैनिंग, दाग़-धब्बे आदि साफ़ हो जाएं और त्वचा बन जाए कोमल, निखरी और ताज़गी भरी। सिर्फ़ इतना ही नहीं, उबटन का इस्तेमाल त्वचा संबंधी कई रोगों से भी बचाने में मददगार साबित होता था। अपने इन्हीं गुणों के चलते भारतीय शादियों में तो जिस दिन वर या वधू को हल्दी लगाने की रस्म होती है, उस दिन असल में उन्हें हल्दी का उबटन ही लगाया जाता है।
तो आइए, आज कुछ बातें जानें उबटन के ही बारे में।

क्या होता है उबटन

Credit: CitySpidey


सौंदर्य और सेहत से भरपूर गुणों के कारण उबटन सदियों से भारतीय जनजीवन का हिस्सा रहा है। यहां तक कि पुराने समय में तो राजा-महाराजाओं से लेकर आम लोगों तक उबटन का इस्तेमाल बहुत जाना-पहचाना था। फ़र्क था तो सिर्फ़ इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों को लेकर, जो कि बेशक़ीमत जड़ी-बूटियों से लेकर आमतौर पर घरों में इस्तेमाल होने वाली साधारण सामग्रियों तक से बनाया जा सकता था, जैसेकि- गेंहू का आटा, आटे का चोकर, बेसन, हल्दी, कच्चा दूध, दही, मलाई, नींबू का रस, गुलाबजल, मसूर की दाल का पाउडर वग़ैरह। इन्हीं से बने मिश्रण को उबटन कहते हैं। 

उबटन लगाने के फ़ायदे

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उबटन लगाने के फ़ायदे गिनने बैठो तो वे एक नहीं, अनेक हैं। यदि नियमित रूप से उबटन लगाया जाए तो यह मृत त्वचा पनपने ही नहीं देता और त्वचा हमेशा बनी रहती है खिली-निखरी और ताज़गी भरी। इसके इस्तेमाल से डेड स्किन तो हट ही जाती है, टैनिंग भी ख़त्म होती है, त्वचा के दाने, यानी एक्ने वग़ैरह से भी छुटकारा मिलता है। त्वचा पर मौजूद दाग़-धब्बे भी उबटन के नियमित इस्तेमाल से दूर हो जाते हैं। त्वचा का रक्तसंचार भी तेज़ होता है, जिससे त्वचा कोमल और ताज़गी भरी लगने लगती है। उबटन के इस्तेमाल से त्वचा के अवांछित बालों से भी छुटकारा मिलता है। सिर्फ़ इतना ही नहीं, बल्कि यदि उबटन का इस्तेमाल औषधीय ढंग से किया जाए तो इससे त्वचा के त्रिदोष भी दूर होते हैं, जैसेकि वात, पित्त, कफ़ का संतुलित होना, यानी कह सकते हैं कि उबटन के फ़ायदों की कोई सीमा नहीं है।

उबटन के प्रकार

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उबटन के कई  प्रकार होते हैं। यह निर्भर करता है कि उबटन किस रूप में इस्तेमाल किया जाना है, यानी कि इसका इस्तेमाल सौंदर्य को बढ़ाने के लिए हो रहा है, चिकित्सकीय रूप में हो रहा है या फिर त्वचा संबंधी किसी समस्या से अथवा अवांछित बालों आदि से छुटकारा पाने के लिए। यदि इसे औषधीय रूप में इस्तेमाल करना है कि किसी योग्य वैध से अपनी ज़रूरत के अनुसार बताए गए नुस्ख़े के अनुसार तैयार करें या फिर उनके द्वारा तैयार मिश्रण का ही उबटन बनाएं। सौंदर्य संबंधी उपयोग में भी आप उबटन लगाने से पहले ये ज़रूर देख लें कि कहीं आपको सर्दी या गर्मी ज्यादा तो नहीं लगती। यह बात हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि जिन लोगों को गर्मी ज़्यादा लगती है तो उन्हें उबटन में सरसों के इस्तेमाल से बचना चाहिए। इसी प्रकार से जिन लोगों की त्वचा रूखी ज़्यादा है, उन्हें अपना उबटन पानी की बजाय कच्चे दूध में ही तैयार करना चाहिए। 

उबटन लगाने का सही तरीका

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उबटन हमेशा नहाने से पहले ही लगाया जाता है। आप उबटन सिर्फ़ हाथ, पैर या पीठ पर भी लगा सकते हैं या फिर चाहें तो पूरे शरीर पर भी इस लेप को लगाया जा सकता है। उबटन को लगाने के बाद इसे कुछ देर के लिए ऐसे ही छोड़ दें। उसके बाद जब यह आधा सूख जाए तो हल्के हाथों से रगड़-रगड़ कर छुड़ा दीजिए। याद रखिए कि उबटन छुड़ाने के लिए बहुत कठोरता न बरतें। इससे त्वचा लाल हो सकती है और अगर आपकी त्वचा बहुत सेंसेटिव है तो रेशेज़ भी पड़ सकते हैं। अगर पीठ जैसे हिस्सों पर आप चाहें तो उबटन छुड़वाने के लिए किसी की सहायता भी ले सकते हैं, क्योंकि पीठ पर अपने हाथ का दबाव ठीक से नहीं पड़ पाता, जिससे उबटन ठीक से पूरा छूट भी नहीं पाता। 
पूरी तरह से उबटन छुड़ा लेने के बाद आप मौसम के हिसाब से ठंडे या गुनगुने पानी से नहा लीजिए। ज़्यादा तेज़ गर्म पानी के इस्तेमाल से बचें, क्योंकि उससे त्वचा की नैसर्गिक नमी भी ख़त्म हो सकती है।